जल थल अम्बर जीवन माना । भीतर से हिय तब पहचाना ।।
भाव खिले मन कुटिर छवाई । बोध तत्व की मिली बधाई ।।
रिपु दल बढ़कर आगे आये । दूर हुए सब भ्रम के साये ।।
सहज अलौकिक जीवनधारा । प्रभु कृपा सहित जब उजियाला ।।
कविराज तरुण 'सक्षम'
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