Wednesday, 27 September 2017

चौपाई - उजियाला

जल थल अम्बर जीवन माना ।
भीतर से हिय तब पहचाना ।।

भाव खिले मन कुटिर छवाई ।
बोध तत्व की मिली बधाई ।।

रिपु दल बढ़कर आगे आये ।
दूर हुए सब भ्रम के साये ।।

सहज अलौकिक जीवनधारा ।
प्रभु कृपा सहित जब उजियाला ।।

कविराज तरुण 'सक्षम'

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