Tuesday, 26 September 2017

चौपाई - ईमानदारी

चौपाई

१९.०९.२०१७
विषय - ईमानदारी

नेक राह पर चल रे पगले ।
भाग्य उदय हो जाये अगले ।।

तृष्णा लालच ये सब माया ।
छोड़ सको तो छोड़ो भाया ।।

कर्म साध्य तो धर्म सही है ।
नेकी बिन पुरुषार्थ नही है ।।

क्यों दूजे का हक है खाना ।
अपनी नीयत अपना दाना ।।

सर वो ऊँचा तान सकेगा ।
नेकी का जो पाठ पढ़ेगा ।।

मत भूलो सच ने जग जीता ।
प्रेमकुटिर मे जीवन बीता ।।

रामलला की हो संताने ।
कपटी रावण की क्यों माने ।।

जो मिला प्रभू से मान धरो ।
निश्छल होकर के काम करो ।।

चहुँओर खिले तब उजियाला ।
नेकभाव जब दीपक डाला ।।

सज्जन का है जग हितकारी ।
ईमान बिना क्या नर-नारी ।।

कविराज तरुण 'सक्षम'

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