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एक प्रयास
तीर दिल पे ये' खाना नही है ।
कुछ हमे आजमाना नही है ।।
बेरुखी दिल्लगी का असर है ।
और रोना रुलाना नही है ।।
डूब जाते मुहब्बत मे अक्सर ।
तैरने का ठिकाना नही है ।।
खार गुल से हुआ जब मुख़ातिब ।
जान पाया ज़माना नही है ।।
रहगुज़र दूर कर दो नज़र ये ।
हाथ कुछ आज आना नही है ।।
*कविराज तरुण सक्षम*
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