कौन हूँ मै
फिर वही प्रश्न कौन हूँ मै
शब्द मूर्छित हैं मौन हूँ मै
सागर की तलहटी मे खोजता गहराई हूँ
पानी की चादरों में तलाशता परछाई हूँ
सत्य क्या असत्य क्या नित सोचता हूँ
धर्म में निहित कर्म भावों को टोहता हूँ
हूँ धरातल या भला ये व्योम हूँ मै
फिर वही प्रश्न कौन हूँ मै
शब्द मूर्छित हैं मौन हूँ मै
महफ़िल मिले जब तो चाहता तन्हाई हूँ
दुःख मिले तो प्रभु से माँगता शहनाई हूँ
बाट पलपल सुख क्षणों की जोहता हूँ
पुष्प करलव लालसा को मोहता हूँ
अर्थ हूँ मै स्वयं का या विलोम हूँ मै
फिर वही प्रश्न कौन हूँ मै
शब्द मूर्छित हैं मौन हूँ मै
*कविराज तरुण सक्षम*
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