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नाम तुझको बनाना पड़ेगा ।
काम करके दिखाना पड़ेगा ।।
भव्यता भाव मे गर निहित हो ।
भव्य करके बताना पड़ेगा ।।
मुश्किलों की दवा है पसीना ।
खूब इसको बहाना पड़ेगा ।।
आसमां भी समझता इरादे ।
कोशिशों से झुकाना पड़ेगा ।।
कर सके जो न खुल के इबादत ।
उनका' सिर भी उठाना पड़ेगा ।।
प्यास बादल को' लगने लगी है ।
तुझको दरिया बढ़ाना पड़ेगा ।।
काम चुप होके' चलता कहाँ है ।
बोल के ही हँसाना पड़ेगा ।।
कहकशों की कहानी नही है ।
चाँद तारे सजाना पड़ेगा ।।
है *तरुण* जिस्म में गर रवानी ।
जिंदगी को लुभाना पड़ेगा ।।
*कविराज तरुण सक्षम*
*साहित्य संगम संस्थान*
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