Tuesday 20 June 2017

योगदान महादान

*योग-दान , महा-दान*
(मनहरण घनाक्षरी)

दुराचार दूर करे
  सदविचार प्रदाता
    कुछ न काम आये तो
      योग अपनाइये ।।

रोग को समेटकर
  क्यों हो जीवनयापन
    निरोगता की पुष्टि है
      योग आजमाइये ।।

योग के समान कोई
  है उपाय नही दूजा
    नित्य आधे घंटे योग
      और मुस्कुराइये ।।

प्राणायाम है महान
  सूर्य नमस्कार करो
    वज्र , मृग , सिंहासन
     करिये कराइये ।।

*योग-दान महा-दान*
  इसमें छुपा है ज्ञान
    प्रातःकाल नित्य ध्यान
      चित्त को लुभाइये ।।

वासना को त्याग दो
  साधना में भाग लो
    शुद्धता का है प्रमाण
      योग दोहराइये ।।

*कविराज तरुण 'सक्षम'*
*साहित्य संगम संस्थान*

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