Monday, 12 June 2017

हाँ! मै किसान हूँ

*हाँ! मै किसान हूँ*

हाँ! मै किसान हूँ
मेहनत करता हूँ और खुश रहता हूँ
पर आजकल थोड़ा परेशान हूँ
हाँ! मै किसान हूँ

बिना धूप की चिंता किये
सुबह निकल पड़ता हूँ काम पर
लेकर इन हाथों में हासिये
आता हूँ हर-एक घास काट कर

मौसम की मार भी झेल लेता हूँ
खेतों मे ही बच्चो संग खेल लेता हूँ
खरमेटाव मे चना गुड़ लाई खाकर
सत्तू संग पानी को मेल लेता हूँ

चाह नही है पिज्जा बर्गर की
चैन से जो मिले वही खाता हूँ
अनवरत श्रमसाध्य करता हूँ
रेडियो सुनकर रात मे सो जाता हूँ

कभी सेठ की चालाकी से पीड़ित
कभी भगवान के प्रोकोपो से ग्रसित
कभी राजनीति की लाचारी पे आश्रित
वोटबैंक बनने पर भी बाध्य हूँ कथित

मत कहो हत्यारा, चोर या बेईमान हूँ
खून पसीने की एकत्रित पहचान हूँ
सीधा सादा श्रमिक बेहतर इंसान हूँ
हाँ! मै किसान हूँ

*कविराज तरुण 'सक्षम'*
*साहित्य संगम संस्थान*

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