Thursday, 29 June 2017

आय है ग़ज़ल

1212 1122 1212 22

लिपट लिफ़ाफ़े' में' उनका पयाम आया है ।
जिसे खुदा ने' बहुत खूब ही बनाया है ।।

दुआ सलाम नही लफ्ज़ कुछ अलग सा है ।
बड़ी नज़ाक़त से उसने' सितम ढाया है ।।

बिना मिले मुमकिन हो मिरा बसर यूँही ।
बिठा पलक पर ख़्वाबो को' आजमाया है ।।

यकीं नही अब चाहत ये' चीज ऐसी है ।
डुबाता' खुद जिसने तैरना सिखाया है ।।

तरुण सबक कुछ लेता नही मुहब्बत से ।
हरेक हर्फ़ कई ज़ख्म साथ लाया है ।।

कविराज तरुण सक्षम

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