Sunday, 14 January 2018

ग़ज़ल 70 पुरानी बात है

2122 2122 212

आज निकली जो पुरानी बात है ।
इन सितारों को दिखानी रात है ।।

बादलों में छुप गया जब चाँद भी ।
इस दिले नादान की वो मात है ।।

मै तमाशे कर न पाया सोचकर ।
वो तमाशे कर कहें शुरुआत है ।।

आस्तीनों में छुपे थे यार कुछ ।
मै समझ बैठा सुखी हालात है ।।

हाल-ए-दिल ना तौलिये यूँ खामखाँ ।
अब किराये पर गया जज्बात है ।।

बोल कौड़ी भाव से यूँ बिक रहे ।
भावना का पेड़ ही बिन पात है ।।

गुनगुनाती धूप क्यों चुप है भला ।
भीगते गम मे तरुण ख्यालात है ।।

कविराज तरुण 'सक्षम'

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