2122 1212 22
हम ये वादा निभा नही सकते ।
नींद को भी बुला नही सकते ।।
मर्ज मालूम है दवा मुश्किल ।
चाह कर भी खिला नही सकते ।।
शाख से पत्ते यूँ गिरे तन्हा ।
फूल इसमें उगा नही सकते ।।
छोड़ आये हैं बात बातों में ।
बोझ इतना उठा नही सकते ।।
हो *तरुण* प्यार गर लकीरों में ।
करके कोशिश मिटा नही सकते ।।
कविराज तरुण 'सक्षम'
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