2122 1212 22
आँख में धुंध सी जमी होगी ।
या मुहब्बत हिसाब सी होगी ।।
जोड़ कर तुम घटा नही पाये ।
सोचिये कै गुना करी होगी ।।
तुम दिखावे मे जी रहे ऐसे ।
प्यार बिन क्या हि जिंदगी होगी ।।
साथ देता नही कभी कोई ।
वक़्त आने दो जब कमी होगी ।।
याद रखना गली मेरी साहिब ।
राह गुलज़ार दिख रही होगी ।।
नाम तेरा लिखा दराजों पे ।
नींव अरमान की खुदी होगी ।।
बेझिझक यार तुम चले आना ।
दिल की दहलीज मखमली होगी ।।
मै तपोपेश मे सुना आया ।
भूलना बात जो कही होगी ।।
है *तरुण* आज भी वही प्यारा ।
ये पलक गिर के बिछ गयी होगी ।।
कविराज तरुण 'सक्षम'
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