Wednesday 31 January 2018

ग़ज़ल 82 धुंध सी होगी

2122 1212 22

आँख में धुंध सी जमी होगी ।
या मुहब्बत हिसाब सी होगी ।।

जोड़ कर तुम घटा नही पाये ।
सोचिये कै गुना करी होगी ।।

तुम दिखावे मे जी रहे ऐसे ।
प्यार बिन क्या हि जिंदगी होगी ।।

साथ देता नही कभी कोई ।
वक़्त आने दो जब कमी होगी ।।

याद रखना गली मेरी साहिब ।
राह गुलज़ार दिख रही होगी ।।

नाम तेरा लिखा दराजों पे ।
नींव अरमान की खुदी होगी ।।

बेझिझक यार तुम चले आना ।
दिल की दहलीज मखमली होगी ।।

मै तपोपेश मे सुना आया ।
भूलना बात जो कही होगी ।।

है *तरुण* आज भी वही प्यारा ।
ये पलक गिर के बिछ गयी होगी ।।

कविराज तरुण 'सक्षम'

No comments:

Post a Comment