2122 1212 22
जब वो' मेरे करीब आता है ।
खुद ही' चलके नसीब आता है ।।
लोग जलते हैं' खामखाँ मुझसे ।
भाव सबका अजीब आता है ।।
दुश्मनों की मजाल क्या होगी ।
बन खुदा जब हबीब आता है ।।
लफ्ज़ दर लफ्ज़ बात तेरी हो ।
तब ग़ज़ल मे अदीब आता है ।।
यूँ असर है *तरुण* दुआओं मे ।
दर्द लेने तबीब आता है ।।
*कविराज तरुण 'सक्षम'*
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