Tuesday, 30 January 2018

ग़ज़ल 78 आता है

2122 1212 22

जब वो' मेरे करीब आता है ।
खुद ही' चलके नसीब आता है ।।

लोग जलते हैं' खामखाँ मुझसे ।
भाव सबका अजीब आता है ।।

दुश्मनों की मजाल क्या होगी ।
बन खुदा जब हबीब आता है ।।

लफ्ज़ दर लफ्ज़ बात तेरी हो ।
तब ग़ज़ल मे अदीब आता है ।।

यूँ असर है *तरुण* दुआओं मे ।
दर्द लेने तबीब आता है ।।

*कविराज तरुण 'सक्षम'*

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