2122 2122 212
इश्क़ में आवारगी चलती नही ।
बैठकर कोई शमा जलती नही ।।
हासिये पर जिंदगी के दांव हैं ।
ख़्वाब मे सच्चाइयां पलती नही ।।
जब मुहब्बत खोज ले तेरा पता ।
खिड़कियों से आड़ तब मिलती नही ।।
दो इजाजत वक़्त को कुछ रोज की ।
बेवजा ये जिंदगी छलती नही ।।
जो जवां हैं आदतन दिल से *तरुण* ।
उम्र उनकी जीते' जी ढलती नही ।।
कविराज तरुण 'सक्षम'
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