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जब मिरी बिटिया सयानी हो गई ।
लग रहा जैसे कि नानी हो गई ।।
रोज मुझको टोकती हर बात में ।
चाय से चीनी बे'गानी हो गई ।।
अब दवा को टाल पाता मै नही ।
वक़्त पे खा लूँ कहानी हो गई ।।
योग का रूटीन फॉलो जब किया ।
जिंदगी अपनी दिवानी हो गई ।।
वो हुकूमत कर रही यूँ प्यार से ।
रजकुमारी आज रानी हो गई ।।
है तरुण सच ! रूप माँ का बेटियां ।
देख गीली आबदानी हो गई ।।
कविराज तरुण 'सक्षम'
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