Friday, 19 January 2018

ग़ज़ल 75 - मेरी बिटिया सयानी

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जब मिरी बिटिया सयानी हो गई ।
लग रहा जैसे कि नानी हो गई ।।

रोज मुझको टोकती हर बात में ।
चाय से चीनी बे'गानी हो गई ।।

अब दवा को टाल पाता मै नही ।
वक़्त पे खा लूँ कहानी हो गई ।।

योग का रूटीन फॉलो जब किया ।
जिंदगी अपनी दिवानी हो गई ।।

वो हुकूमत कर रही यूँ प्यार से ।
रजकुमारी आज रानी हो गई ।।

है तरुण सच ! रूप माँ का बेटियां ।
देख गीली आबदानी हो गई ।।

कविराज तरुण 'सक्षम'

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